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मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-6)









( राज अपने रूम में बैठा सोच रहा है कि क्या किया जाए। शास्त्री अंकल आते है।)
 अंकल- क्या बात है बेटा। उदास हो। जब भी नजर आते हो मुह लटकाए रहते हो। 
राज- कुछ नही अंकल जी। ऐसी कोई बात नही।
 अंकल- छिपा मत बेटा। दोस्त समझ अपना।
 राज- ऐसे ही अंकल जी। कोई खास नही। (अंकल को राज सब बताता है कि उसकी संगीत के प्रेम ने आज उसे कहा पहुंचा दिया)
अंकल सारी बात को मध्यनजर रखते हुए
अंकल - अच्छा । ये संजना और राजीव का क्या चक्कर है। 
राज - शायद दोस्त 
अंकल- दिव्या और राज का। 
राज - दोस्त।     और मैने सोचा नही था इतने पक्के दोस्त बन जाएंगे। 
अंकल - देख बेटा। दिव्या जैसी लड़की दुनिया मे दूसरी नही है। वो दोस्ती किसी से नही करती जिससे करती है उसपर पूरा भरोसा करती है। और दोस्ती निभाती भी है। मैं तभी समझ गया था जब वो तेरे लिए मेरे पास रूम लेने आई। सच बोलू तो मैं रूम रेंट पर कभी नही देता हूँ। न ही कभी दुंगा।और उसने मुझे बताया कि तुम गाना बहुत अच्छा गाते हो।अगले हफ्ते दिव्या के collage के पास प्रोग्राम है वहाँ गाना है तुमने। अपना राजीव वाला केस सॉल्व करो जल्दी। सबूत इक्कठा करो। मेरी हेल्प चाहिए होगी बताना। पूरी कोशिश करुंगा
राज-  जी जरूर आपकी हेल्प तो लेनी पड़ेगी। और वैसे भी दोस्त एक दूसरे की हेल्प करने के लिए ही बनते है। 
अंकल- हम्म...। लेकिन कुछ दोस्त हेल्प ले लेते है । करने की बारी आती है तो पीछे हट जाते है। 
राज- वो दोस्त होते ही नही। जो ऐसा करे उसे दोस्त कौन कहेगा।
 अंकल- ऐसा नही है बेटा। दोस्त के अलावा एक रिश्ता होता है । जो एक दूसरे के बिना अधूरे होते है । लेकिन उन्हें पता नही होता। एक दूसरे को खो देने के बाद ही उन्हें उसकी कमी का एहसास होता है । 
राज- आपकी बात में  गहराई है। लेकिन मेरे समझ से बाहर की बात है।
 अंकल- "रोशनी और प्रताप" एक दम एक दूसरे के शत्रु है। लेकिन अगर प्रताप ही न हो तो रोशनी की क्या जरूरत।
 राज - आप जो भी कह रहे हो ठीक कह रहे हो। 
अंकल - (हंसते हुए) अब भी नही समझे।चलो ये बताओ एक अंधेरा कमरा है।  उसमें एक दीपक जलाया जाता है। किसकी तारीफ होती है।
 राज- दीपक की, जिसने अंधेरे कमरे में रोशनी भर दी है। 
अंकल - बात तो सही है पर। माचिस की तिल्ली का क्या जिसने दीपक को अपनी रोशनी देकर खुद को बुझा लिया। "और अगर दिन के उजाले में दीपक जलाया जाएगा तो लोग कहेंगे क्यो जलाया है बुझा दो दिए को। 
राज- अब मेरी समझ मे बात आ गयी है
 अंकल- अभी नही तेरी समझ मे ये बात बहुत बाद में आएगी।

( राज और अंकल की बातचीत खत्म होती है राज सबूत ढूंढने की प्लानिंग सोचता है। "सबसे पहले तो मुझे  वो डायरी चाहिए जिसका वो पेज है। और मुझे संजना पर नजर रखनी पड़ेगी। इतने दिनों में  कभी न कभी तो वो राजीव से मिलती ही होगी । बाकी दिव्या से पूछ लूंगा डायरी कैसे ली जा सकती है। राज दिव्या को इस बारे में बातचीत करने के लिए मिलने बुलाता हैं।)
(अंकल दिव्या और राज मिलकर प्लानिंग बनाते है।) 
राज- हमे वो डायरी हासिल करनी है।
 दिव्या- लेकिन वो डायरी हमे मिलेगी कैसे।
 राज- यही तो सोचना है। राजीव हमे देगा नही। और उसके घर हम चोरी भी नही कर सकते।
 अंकल- मैं कुछ बोलू। 
राज- कैसी बात कर रहे हो अंकल आप कुछ बोलोगे करके तो आपके साथ बैठकर प्लानिंग कर रहे है। 
दिव्या- बोलो न अंकल। 
अंकल- दिव्या तुमने बताया था कि उसकी बहन तुम्हारी दोस्त है। क्या नाम है उसका
 दिव्या- राजीव 
अंकल - अरे नही उसकी बहन का क्या नाम है।
 दिव्या- शालिनी 
अंकल- तुम शालिनी के घर गए हो। कभी।
 दिव्या- हां बहुत पहले। 
अंकल - अगर शालिनी  से मिलने का तुम्हारा मन करे और वो मिलने को राजी हो जाये । और तुम उसके घर पर जाके मिलो तो।
 दिव्या - करेक्ट....मैं उससे मिलने जाऊंगी।
 राज- पर डायरी चुराओगे कैसे।
 दिव्या - वो वही जाकर डिसाइड होगा। वहां की परिस्थिति देखकर।
 राज - परिस्थिति........... इतना हार्ड वर्ड आप बोल कैसे लेते हो।
 दिव्या - मजाक बन्द करो , तुम्हारी स्थिति सुधारने के लिए ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है। 
राज - तो उसके पापा और भाई। इनसे कैसे बचोगे।
 दिव्या- मेरी संजना से बात हुई है आज राज उससे मिलने आएगा।
उस टाइम पर उसके पापा भी कॉलेज होते है। प्रिंसपल जो है। मम्मी उसकी शादी में गयी है अपने बचपन के दोस्त के लड़के की।
शालिनी आज दिन भर अकेली होगी। शाम को पापा उसकी मम्मी को लेने जाएंगे कल संडे को आएंगे
 राज- ये सही मौका है। आप डायरी निकलवाओ। मैं कुछ और काम निपटाता हूँ।
 अंकल- ये कुछ और क्या होता है। दिव्या अकेले नही जाएगी उसके घर। अचानक राजीव आ गया। और पकड़ी गई तो मुशीबत हो जाएगी।
 राज- ऐसा कुछ नही होगा । राजीव हर पल मेरी नजर में होगा।
 अंकल- देखो जो भी कदम उठाना सोच समझ के। क्योकि ये कोई फ़िल्म नही है जो हम जैसा सोचेंगे वैसा होगा। अक्सर उल्टा ही होता है।
 राज- (मन ही मन मे)- हम्म होता तो उल्टा ही है। मैने भी सोचा था संजना से  दोस्ती करूँगा। उसे अपने प्यार का एहसास दिलाऊंगा। ऐसा कुछ हुआ नही। उल्टा ही हुआ। वो किसी और से दोस्ती कर बैठी है। मुझे उसने बोला दिव्या से दोस्ती कर लेगा मैं दोस्ती एक्सेप्ट कर लुंगी। पर उसने वो किया जो मैंने एस्पेक्ट नही किया था।
 दिव्या-राज क्या सोचने लगे। 
राज- कुछ नही।

(प्लान के मुताबिक  दिव्या शालिनी से मिलने जाती है और राज राजीव पर नजर रखता है।दोनो अपने अपने अपने प्लान में सफल होते है।
राज के हाथ सबूत और दिव्या के हाथ डायरी लग जाती है।दिव्या शालिनी  से मिलने एक बैग में उसके लिए कुछ गिफ्ट लेके गई , और उसको बातों ही बातों में घर देखने के बहाने राजीव के कमरे तक गई फिर राजीव के कमरे में बैठकर एक गिलास पानी मांगा। शालिनी किचन में जाती है  तब तक डायरी अपने बेग में डाल लेती है। उधर राज दिव्या और राजीव की छिपके से एक साथ खड़े की फ़ोटो खींच लेता है फिर फोटोज की कलर प्रिंट निकलवा लेता है। शाम को दोनो मिलते है अंकल भी बैठे है। थोड़ी देर बातचीत के बाद दिव्या को उसके पापा का फोन आ जाता है। दिव्या चली जाती है राज भी खाना खाकर सो जाता है।
सुबह वही धुन पियानु रोज की तरह गाना बजाना। और फिर बेड पर ही चाय मिल जाती उसको। अंकल अपने बेटे की तरह ट्रीट कर रहे थे। हालांकि अंकल की शादी नही हुई थी। न ही बाल बच्चे थे शायद इसलिए उन्हें लगा कि कोई अपना मिल गया है। दिन भर राज सोचता रहा कि कैसे जाऊ उस गली मैं। कैसे करूँ उन लोगो का सामना । रात को जाना बेटर रहेगा।
शाम होती है करीब 8:00  बजे राज जाता है और संजना के घर का गेट खटखटाता है। मुह पर रुमाल बांधकर आंख में काला चश्मा ताकी कोई पहचाने न गली में। और सबसे ज्यादा खतरा था संजना के घर के सामने वाला घर जहां उसकी मौसी रहती थी।
अंकल गेट खोलने आते है राज उन्हें गेट खोलते ही बोलता है । मैं राज हूँ। और आज तमाशा करने की जरूरत नही शांति से बैठकर बात करते है। क्योंकि आज इज्जत उछालने की कोशिश करोगे तो आपकी उछलेगी मेरी नही।
(ये बात राज ने गेट खोलते ही इसलिए बोली ताकि अंकल गली न इक्कठा करे।) 
अंकल- क्यो आया है यहां
राज- बताने आया हूँ असली गुनहगार कौन है इस छोटे से गुनाह के लिए। क्या मैं अंदर आ सकता हूँ।
  (सिर हिलाते हुए हाँ का इशारा करता है और अंदर को चले जाता है। राज भी उनके पीछे अंदर जाता है राज जाकर सोफे में बैठता है।और  उसके सामने वाले सोफे में अंकल,) 
अंकल- बता । किसने भेजी थी वो चिठ्ठी ।
 राज - संजना को तो बुलाओ।
 अंकल - उसकी कोई जरूरत नही मुझे बता।
 राज - बात जो होगी आमने सामने होगी। अपनी लड़की की गलती छिपाओगे तो कल वो और बड़ी गलती करेगी। (अंकल संजना को बुलाते है संजना आती है। बिना राज की तरफ देखे अपने पापा के साथ बैठ जाती है। संजना के मन मे एक बहुत बड़ा डर था। क्योंकि आज उसका सारा राज, राज उसके पापा के सामने खोलने वाला था )
 राज - संजना मैं तुमसे पूछ रहा हूँ। क्या तुम्हे अब भी पता नही है कि वो खत किसने भेजा था। 
संजना - (दबे स्वर में)- नही
 राज - क्या तुम राजीव को जानती हो।
 संजना (चौक जाती है' और सोचती है इसे कैसे पता राजीव के बारे में, संकट में पड़ी संजना समझ नही पाती की हाँ बोलू या नही।) 
राज- नही जानते , कोई बात नही, मैं जानता हूँ आप नही जानते,
 अंकल- कौन है राजीव
 राज- जिसने चिठ्ठी फेंकी थी आपके घर।
 अंकल- खुद को बचाने के लिए किसी का भी नाम ले लेगा क्या।
 राज- एक मिनीट रूको.....(राज अपने बैग से एक डायरी निकलता है जो 2014 कि डायरी थी उसके फर्स्ट पेज पर राजीव की 5 साल पुरानी फ़ोटो लगी थी। और राजीव ने अपनी पर्सनल डिटेल डाली हुई थी।)
(अंकल ने डायरी देखी अल्टा- पलटा,)
फिर बोले - इससे क्या साबित होता है। 
राज - आप बस ये बताओ ये डायरी किसकी जैसी लग रही है। 
अंकल - किसी राजीव नाम के लड़के की डायरी है।
 राज- हांजी , और इसमें देखो पेज नम्बर  179 है या नही।
(अंकल देखता है की वो पेज नही है)
 राज- (संजना की तरफ इशारा करते हुए।) इसे भी दिखा दो, वरना इसको यकीन नही आएगा। मुझपर नही तो इन सबूतों पर तो यकीन हो। 
अंकल - जिसकी डायरी है। प्रिंसपल का लड़का है,इससे क्या साबित होता है।
 राज - (अपने जेब से वो चिट्ठी निकलता है। जो कि उसी डायरी का था। अंकल को पकडाते हुए) - ये इसी डायरी का पेज है।
(अब  संजना के डर का ठिकाना नही रहता)
 अंकल - हाँ, है तो इसी डायरी का।
 राज - लेकिन इसमें आपकी लड़की की कोई गलती नही है। क्योंकि उसको आदत है। जो भी लड़की उसे पसंद आ जाती है ये उसे अपने जाल में फसाने की कोशीश ऐसे ही खत भेजकर करता है। 
अंकल- संजना तुमने इस लड़के को कही देखा है। 
राज - ये उसको जानती है या नही जानती उसका तो पता नही। वो इसको जरूर जानता है।
 अंकल - तुम्हे ये सब कैसे पता।
 राज - ये मैं आपको एक तस्वीर  देता हूँ।
ये उसकी आजकल की फ़ोटो है।(राज एक फोटो संजना को पकडाता है एक फोटो अंकल को)
(संजना ने फ़ोटो देखी तो वो हैरान रह गयी। फ़ोटो उसकी और राजीव की थी , दोनो  की एक साथ फोटो थी तो संजना ने सोचा आज उसकी खैर नही। इससे पहले वो कुछ सफाई देती । राज ने उसके हाथ से फ़ोटो छीन ली और कहा-
 राज- दोनो फ़ोटो आपको दे दिए तो मेरे पास क्या सबूत रहेगा। आप दोनों एक ही फ़ोटो से काम चलाओ।
अंकल जी थोड़ा अपनी बेटी को भी दिखाओ फ़ोटो। 
अंकल- ये लड़का कही देखा देखा जैसा लग रहा है। 
अंकल- संजना तुम देखो । जानती हो इस लड़के को। मतलब कही देखा है।
 संजना- (सोचती है पापा मुझे उस लड़के के साथ देखकर गुस्सा क्यो नही कर रहे ) दिखाओ फ़ोटो
(संजना ने देखा कि उसके पापा को जो फ़ोटो दी थी उसमें सिर्फ राजीव ही था। उसकी अपनी फ़ोटो नही थी उसमें) 
राज- मेरी आदत नही है किसी को बदनाम करने की। और ना ही मुझे अच्छा लगता है कि कोई मेरी वजह से मुशीबत में आ जाये। बस एक ही चाहत है अब मेरी। खुद को निर्दोष साबित करके तेरी गलियों से हमेशा के लिए दूर चले जाऊ। अंकल- ये लड़का राजीव.…… मुझे याद आ गया। इसी ने खत फेंका था। इसे मैने उसी दिन इस गली से बाइक में जाते हुए देखा। तब मैं मार्किट से आ रहा था।
 राज - मतलब अंकल आपको पता चल गया मैं निर्दोष हूँ। अंकल - हाँ बेटा। मुझे माफ़ कर देना। मैने अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर दी। 
राज - कोई बात नही अंकल, ये तो मेरा सबक है। इसी बहाने मुझे पता भी चल गया की कौन अपना है कौन पराया। किसको मुझपर पूरा भरोसा है। किसे बिल्कुल नही। 
(अंकल शर्मिन्दा थे और माफी मांगते हुए।)
अंकल - अब तुम इस गली में रह सकते हो। मैं तुम्हारी मौसी को बोल देता हूँ। आपकी गलती नही है।
 राज -उसकी कोई जरूरत नही है। मुझे इस गली मैं फिर आना ही नही तो क्या फायदा अब तो बड़ी मुश्किल से गलियों में मेरी चर्चाएं कम हो रही। फिर शुरू हो जाएगी।और वो सब लोग अपना ही जुबान बदल लेंगे। गिरगिट की तरह रंग भी ,, कहेंगे हम तो पहले ही जानते थे ये  गलत नही हो सकता। अरे जब जानते थे तो तब क्यो मुझे पड रही गालियों में तालियो की बरसात कर रहे थे। 
अंकल- नही बेटा जब तुम्हारी गलती नही तो........ 
राज- बस करो अंकल, मुझे गाने सुनने का शौक भारी पड़ गया। लेकिन एक चीज और है लास्ट जो मैं आपको दिखाना चाहता हूँ।
(राज अपने बैग से कुछ चार-पांच तस्वीर निकालता है।)और उसमें से एक तस्वीर अपने पास रखकर बाकी तस्वीरे देते हुए कहता है। राज- ये राजीव की अलग अलग लड़कियों के साथ तस्वीरे है। एक मैं आपको नही दिखा सकता। बाकी देखो और दिखाओ अपनी लड़की को। और इसे बोल दो अगर वो इसपर जाल फेंके तो फँस ना जाना।
(संजना देखती है कि उसके कॉलेज की दो लड़कियां नेहा और शिला भी उसके साथ तस्वीर में है और न जाने कौन कौन । अब संजना का भरोसा भी राजीव से उठ जाता है) 

राज- चलता हूँ अंकल। जिंदगी रही तो फिर मुलाक़ात होगी।
अंकल- बेटा खाना तो खा ले। 
राज- नही अंकल। मैं कुछ नही खाऊंगा। और सॉरी आपको डिस्टर्ब करने के लिए। और एक बात और अंकल जी। आज के बाद किसी को बिना सबूत के इतनी बड़ी सजा मत देना की वो किसी को मुह दिखाने लायक न रहे। अकेले में कही बुलाकर भले ही लाठी चार्ज कर देते। लेकिन इज्जत का डिस्चार्ज तो गुनहगारों का ही कीजियेगा।
 अंकल- (लज्जित स्वर में) माफ कर देना बेटा
राज- (संजना की तरफ देखते हुए अंकल को बोलता है) ख्याल रखो अपनी बेटी का पर ना लग गए हो।

(राज चुपचाप उस  गली से निकल जाता है।  दिल मे सुकून था। आंखों में आंसू।) 

(अब राज वापस शास्त्री जी के घर जाता है और उन्हें सब बताता है। और शास्त्री जी और राज खाना खाते है। दिव्या का फोन आता है और काम के ठीक हो जाने की बधाई देती है।) 
शास्त्री जी - तुम्हे पता है परसो आपका प्रोग्राम है तूने गाना गाना है।
 राज - लेकिन अंकल जी। मुझसे नही गाया जाएगा। 
अंकल- देखो। गाना तो गाना पड़ेगा । और तेरा नाम भी दर्ज करा दिया,
राज- अंकल में किस एंगल से सिंगर लगता हूँ। कभी एक शायरी नही सुनाई मंच में जाकर , भीड़ के सामने।
अंकल- मुझे पता है तुम गाओगे।
राज-अंकल जी आप इतना अच्छा गाते हो आप क्यो नही गा लेते।
 अंकल - सच कहूं तो मैं सिर्फ पर्दे में या बंद कमरे में अच्छा गा सकता हूँ , पब्लिक में, इस उम्र में मैं नही गा सकता।
 राज - उम्र का गाने से क्या कनेक्शन ,हर उम्र मैं गा सकते है।
 अंकल- उम्र का गाने से कोई कनेक्शन नही लेकिन जिस तरह के गाने मेरे जहन में आते है। उनमें किसी की याद होती है। जो मुझपर 65 साल की उम्र में शूट नही करते।
 राज- किसकी याद, जिसके चक्कर मे शादी नही की, जिसकी शर्ते बहुत थी। 
अंकल - बिल्कुल ठीक समझा 
राज- मतलब आज भी इंतजार है उसका आपको।
 अंकल - मोहब्बत करोगे तो इंतजार भी करोगे। जितनी ज्यादा मोहब्बत उतना लम्बा इंतजार।
 राज - कभी सोचा ही नही आपने कि जिंदगी आगे बढ़ाऊ उसके बिना।
 अंकल - दिल ने कभी गवाही नही दी। और मैं हमेशा कैद रह गया। उसके प्यार में। अब मुझे पसंद है उसकी यादों का कैदी बना रहना। 
राज - वो अब भी मिलते है कभी। या आप जानते हो वो कहा है। 
अंकल - हाँ, वो मेरे दिल मे थी है और रहेगी। उसके अलावा उसका कोई ठिकाना नही हैं। 
राज- आखरी बार कब मिले, जब से आप लोग बिछड़ गए। 
अंकल - (अपने आंखों की नमी को छिपाते हुए। आंसू पोछते हुए बोले) - जब वो किसी और के साथ बंधन में बंध रही थी। राज - शादी में
अंकल- हाँ 
राज- तो क्या वो आपसे भी प्यार करती थी। 
अंकल - बेटा प्यार आजतक दो तरफा नही हुआ। किसी एक को कोम्प्रोमाईज़ करना पड़ता है। 
राज - तो आपने किया कोम्प्रोमाईज़।
 अंकल - (उसकी बात काटते हुए।)चलो रात बहुत हो गयी । सो जाओ । कल सुबह जल्दी उठ जाना रियाज करेंगे।
 राज- कहानी तो आपकी पूरी सुनूंगा आज नही तो कल।
अंकल- ओके गुड नाईट।

(दोनो सो जाते हैं,)
(दूसरी ओर संजना सोचती है। राजीव के बारे में । और देखती है उसके साथ अलग अलग लड़कियों की तस्वीर फिर याद करती है कैसे राज ने राजीव के साथ मेरी फ़ोटो सिर्फ मुझे दिखाई अगर वो चाहता तो पापा को भी दिखा सकता था । मगर उसने ऐसा नही किया। इसका मतलब बुरा नही है।  वो। मगर इसको कैसे पता चला होगा मेरे और राजीव के बारे में । और राजीव की डायरी कैसे ले ली।अब संजना सोचती है कि" खत राजीव ने ही भेजा था ये तो मुझे पता चल चुका था लेकिन राजीव इतना बड़ा धोखेबाज है वो आज राज ने बताया । राज लड़का बुरा नही है। मैने इसकी दोस्ती ठुकराकर अच्छा नही किया। और मुझे इससे माफी मांगनी पड़ेगी)
अब संजना अपनी  कॉलेज की एक लड़की नेहा को फोन करती है।
 संजना- हेलो ! 
नेहा- हाई, संजू क्या हाल है।
 संजना- बढ़िया , तू बता । खा लिया खाना।
 नेहा -  नही यार तुझे तो पता है हम लेट ही खाते है खाना।
 संजना- अच्छा एक बात बता। राजीव को जानती है तू। 
नेहा- हाँ, लेकिन तू क्यो पूछ री। सच कहूँ तो बॉयफ्रेंड है।
 संजना  - ओक्के । बाई 
नेहा - नेहा लेकिन हुआ क्या ये तो बता।
 संजना - तेरे पास शिला का नम्बर है। 
नेहा - हाँ ,
 संजना- सैंड कर देगी प्लीज़। 
नेहा-  क्यो नही। कर देती हूँ। पर बात तो बता।
 संजना  -  तू नम्बर सेंड कर तुझे कल मिलकर बताऊंगी।
 नेहा-  ठीक है।
( अब संजना शिला को फोन करती है।)
 शिला - हेलो!
 संजना- हाई शिला कैसी है।
 शिला- फाइन तुम बताओ। कैसे हो। 
संजना- बढ़िया, एक बात बताओ शिला तुम क्या राजीव को जानती हो।
 शिला- वो शालिनी का भाई ।
 संजना- हाँ।
 शिला - क्यो पूछ रही है।
 संजना- लवर है तुम्हारा। 
शिला - अरे नही  वो परपोज़ कर रहा था। मैंने अभी कुछ नही बोला। बोल रहा था। दो दिन में जवाब दे देना। तू जानती है उसे। पक्का उसी ने हां बुलवाने के लिए बोला होगा।पागल है वो भी चिट्ठी भी भेजी थी। मुझे इम्प्रेस करने के लिए, मगर मैं इतनी आसानी से मानने वाली नही हूँ।
 संजना- उसका प्रपोजल   एक्सेप्ट मत करना। 
शिला- लेकीन क्यो। 
संजना- बाकी आपकी मर्जी। मुझे भी परपोज़ किया है। नेहा को भी और 3 लड़कियां और भी है। जिनके साथ वो ये नाटक कर रहा है।
(फ़ोन काट देती है)
(संजना को राज पर पूरा यकीन हो जाता है)

नेक्स्ट डे 
(राज को शास्त्री जी ने एक टेंशन दे रखी है। और राज का बिल्कुल मूड नही है गाने का। और तो और अब दिव्या भी जिद पर अड़ गई की तुम्हे गाना पड़ेगा।)

 
दिव्या कॉलेज जाती है। कॉलेज में उसे संजना मिलती है जो कि आज नेहा और शिला के साथ बैठी है जिनसे वो कोई मतलब नही रखती थी पहले। पहले तो दिव्या को लगा की शायद उसे राज और मेरी दोस्ती के बारे में पता लग गया होगा मगर दाल में कुछ और ही काला था शिला और नेहा के हाथ मे कुछ तस्वीरें थी। पास जाकर देखा तो राजीव की थी सारी तस्वीरे अलग अलग लड़कियों के साथ।
संजना ने दिव्या से कहा कि उस खत वाले का पता चल गया)
 दिव्या - कौन है वो।(आश्चर्य से, जैसे कुछ पता ही नही हो)
 संजना - राजीव 
दिव्या- क्या पर राजीव तो बहुत अच्छा लड़का है । तेरा दोस्त भी है । और खत तो वो पड़ोसी ने फेंका था न क्या नाम था उसका।
संजना - नही राज ने नही फेंका था। वो तो बहुत अच्छा लड़का है। उसी ने मुझे ही नही  हम तीनों को राजीव से बचा लिया है।
 दिव्या -होगा। पर वो तो गली छोड़कर चला गया था ना। संजना - हाँ। लेकिन चंडीगढ़ में ही कही रहता है शायद 
दिव्या - (मन ही मन मे) राज ने कहा था कि अब तुम संजना से मुझे मिला सकती हो पर उसे सरप्राइज देंगे। तुम बस ये बोलना संजना को की तुम्हारा भी कोई दोस्त है । और कल उसका शो है । नाम मत बताना बस शो में ले आना कल। दिव्या - संजना एक बात बतानी थी तुम्हे।
 संजना- हाँ बोल 
दिव्या- तू बोलती थी ना कि तू आजकल खोई खोई रहती है। कोई दोस्त तो नही बना लिया। 
संजना - हाँ, तो 
दिव्या - मैने भी बना लिया एक दोस्त। बहूत अच्छा है। 
संजना - ऐसे अचानक मत बना, आजकल भरोसे के लायक लड़के नही है दुनिया मे। अब देख मैंने राजीव पर कितना भरोसा किया था। 
दिव्या- पर मेरा वाला भरोसे के लायक है।
 संजना- ठीक है कब मिला री है।
 दिव्या-कल  एक प्रोग्राम है वह सिंगिंग करेगा।
हम भी जाएंगे देखने।
 संजना- अच्छा, तो सिंगर है। बॉम्बे से आया होगा।
 दिव्या-  अरे नही पहली बार गा रहा है गाना मेरे कहने पर। संजना - पर मैं कैसे आऊंगी यार । पापा ने तो कॉलेज बन्द करवा देना था।  बड़ी मुश्किल से मनाया है उन्हें। मुझे लेट हो गया तो।
 दिव्या - अरे कल कॉलेज की तरफ से सबने वही जाना है।  । हमारे कॉलेज के भी तो है प्रोग्राम में।
 संजना  - चल ठीक है देखती हूँ।

-----क्या राज गाना गायेगा, या राजीव चलेगा नई चाल, क्या संजना पहुंच पाएगी कल कॉलेज, जानेंगे अगले एपिसोड में।)


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2 Comments

🤫

06-Sep-2021 02:54 PM

उफ्फ.....ये जल्दबाजी में लिए गए फैसले हमेशा तकलीफ देते है।देखते है कितनी सरप्राइजड होती है संजना....!!

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Seema Priyadarshini sahay

02-Sep-2021 09:50 PM

बहुत ही रोचक कहानी

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